Experiences
नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: दो संतों का मिलना
एक बार महाराज जी लखनऊ पहुंचे और श्री ब्रह्मचारी महाराज से मिले। एक संक्षिप्त अभिवादन के बाद वे एक भीतरी कमरे में दाखिल हुए और दरवाजा बंद कर लिया। जब पन्द्रह-बीस मिनट बीत गए तो दरवाजा खुला और श्री ब्रह्मचारी महाराज बाहर आए, उनका चेहरा चमक रहा था।
वह मुस्कुरा कर चुपचाप खड़ा हो गया। महाराज जी को कमरे के अंदर एक अजीब मुद्रा में देखा जा सकता था-उनका पूरा शरीर एक गोल, कोमल शरीर जैसा प्रतीत होता था। वह लगभग एक ही बार में बाहर आया, और उसका शरीर बहुत लाल रंग का दिखाई दे रहा था। कुछ मौन क्षण के लिए दोनों संत एक साथ खड़े रहे, फिर महाराजजी चले गए।