नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: भंडारे से महाराज जी ने करायीं कई मृत आत्माएँ तृप्त
जब मंदिर भवन आदि सब बन गये हो एक और वृहद भण्डारे की मंशा बाबा जी ने कर दी जिसका कोई प्रयोजन उन्होंने स्पष्ट नहीं किया। ठण्डी का मौसम था । नैनीताल में केवल प्रवासी रह गये थे (तब) ४-५ हजार की संख्या में । अतएव व्यवस्था करने वालों ने उसी अनुपात में भण्डारे की व्यवस्था की ।
बाबा जी बीच में आये तो इतनी कम सामग्री देखकर असंतुष्ट हो लौट गये । तब और बड़ी व्यवस्था की गई । सबके मन में यही प्रश्न था कि क्या होगा इतनी सामग्री का ? परन्तु जब दो दिन तक पकाये गये हलुवा, पूरी, आलू का भण्डारा प्रारम्भ हुआ तो न मालूम कहाँ से हजारों की संख्या में लोग, जिनमें बहुल संख्या में केवल बच्चे शामिल थे, आते चले गये और भण्डारे के बाद कोई सामग्री शेष न रही !!
तब कुछ अन्तरंगों से बाबा जी ने कहा था, "आज यहाँ कीं आत्मायें तृप्त हो गई है । अब यहाँ शान्ति रहेगी ।" (स्पष्टा मनोरा श्मशान में बिना संस्कार दफनाये गये शवों की और इस आकस्मिक तथा असामयिक वृहद् भण्डारे के रहस्य का पर पाया) बजरंगगढ़ के प्रारम्भ और विस्तार के मध्य बाबा जी भक्तों के साथ अपने मनोहारी लीला-कौतुक करते रहे । बाबा के आगमन पर नित्य ही बड़ी संख्या में भक्तों तथा दर्शनार्थियों की जा में भीड़ लगी रहती थी ।
एक ओर जहाँ अखण्ड राम नाम पालना वही हनुमान जी के सामने सुन्दरकाण्ड एवं हनुमान चालीसा का पालन कभी कभी अखण्ड रामायण भी चलते रहते । कई भवन मिष्ठान व पकवानों आदि का हनुमान जी एवं बाबा जी को भोग अर्पण हो रहा था जो सबका सब उसी दिन भक्तों एवं दर्शनार्थियों में प्रसाद का वितरण हो जाता था ।
विशेषकर मातायें बाबा जी को नाना प्रकार के फल अर्पण करती रहती थी । माताओं द्वारा इस अर्पण का कोई निमित्त समय नहीं होता था प्रातः सूर्योदय के पूर्व भी भोग प्रसाद बनाकर सजाकर वे ले आ पहुँचती थी बाबा जी के समझ बीच बीच में नैनीताल शहर में भक्तों के घर जा जा कर भी अपनी मोहिनी की कर आते थे ।
(अनंत कथामृत के सम्पादित अंश)