नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: त्रिकालदर्शी से क्या छिपा रहता है?

नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: त्रिकालदर्शी से क्या छिपा रहता है?

वृन्दावन आश्रम में निर्माण कार्य चल रहा था। एक कर्मचारी ने, जो निर्माण हेतु आये सीमेंट, लोहा, ईंट आदि की देख रेख करता था, महाराज जी की अनुपस्थिति में कुछ सीमेंट की बोरियाँ बेच दीं। त्रिकालदर्शी से क्या छिपा रहता।

बाबा जी पुनः आश्रम पहुंचे तो अपनी लीला कर उस कर्मचारी से सब कुछ उगलवा लिया। पर उसकी (चोरी करने की) मनोवृत्ति भी तो ठीक करनी थी बाबा जी ने । सो उससे पूछा, कितने में बेची सीमेंट ?" "ढाई सौ रुपये में, महाराज जी।" और तब उसे फौरन ढाई सौ रुपये और देकर आश्रम से निष्कासित कर दिया महाराज जी ने ।

कालान्तर में वह कर्मचारी इतना अधिक परेशान हो गया रोटी पानी के लिये दर-दर ठोकरें खाकर कि पुनः बाबा जी महाराज के श्री चरणों में आ गिरा कि, "त्राहिमाम ! क्षमा करो दीनानाथ।" दयानिधान ने तब उसका तबादला लखनऊ वाले मंदिर में कर उसकी रोजी-रोटी का प्रबन्ध कर दिया ।

Related Stories

No stories found.
logo
The News Agency
www.thenewsagency.in