नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: मेरी विदेश जाने की इच्छा...और जो कुछ वहाँ हुआ!

नीब करौरी बाबा की अनंत कथाएँ: मेरी विदेश जाने की इच्छा...और जो कुछ वहाँ हुआ!

मेरे पति श्री राजकुमार के मन में विदेश जाने की प्रबल इच्छा बनी रहती थी । एक दिन उन्होंने बड़े भाव से बाबा जी महाराज की फोटो छवि के सामने बैठ प्रार्थना की कि उन्हें किसी तरह विदेश-यात्रा करा दें । 'सबकी इच्छा पूरन करहीं' वाले महाराज जी ने उनकी यह प्रार्थना स्वीकार कर ली और एक दिन ऐसा हुआ कि उन्हें कम्पनी के काम से इंग्लैण्ड जाने का निर्देश मिल गया !!

मैं भी उनके साथ विदेश जाना चाहती थी, परन्तु उनको निजी खर्च के लिये कम्पनी द्वारा केवल १५ पौंड प्रतिदिन भत्ते के रूप में स्वीकृत हुआ था जिसमें होटल का खर्च, खाना, पीना आदि सभी सम्मिलित थे । फिर भी मैं चली ही गई उनके साथ कि किसी तरह गुजारा कर ही लेंगे । विदेश जाने का यह अवसर फिर मिले न मिले।

विदेश यात्रा स्वीकृत तो कर दी महाराज जी ने । पर अब आगे भी तो उन्हें ही निभाना था। इस हेतु जो कृपा-लीला उन्होंने रची उस पर सहसा यकीन ला पाना मुश्किल ही होगा अन्य के लिये। हुआ यूँ कि जिस होटल में हम ठहरे थे, वहाँ के डबल -बेड का किराया ही २५ पाउंड प्रतिदिन था।

रात्रि को मैंने पुनः बाबा जी से प्रार्थना की कि 'प्रभु, लाज रख दो ।' यह भी हुआ कि मैं क्यों आ गई इन पर मुसीबत बनकर। परन्तु जब सुबह हम नीचे गये तो होटल मैंनेजर ने स्वयं ही (हमसे) कहा कि आपको केवल ५ पाउंड ही देने हैं, और इसी में आप यहीं खाना भी खायेंगे !!

ऐसा ही दो अन्य स्थानों में भी हुआ । न्यू कासल में हमें तीस पाउंड की जगह केवल १० पाउंड देने पड़े, और प्रेस्टन में २५ पाउंड की जगह केवल ४ पाउंड !! यह सब कैसे हुआ, बाबा जी ही बता सकते हैं । न मालूम किस वेष में आकर वे हमारी बाकी देनदारी चुका गये ।

-- नीलिमा राजकुमार

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