नीब करोली बाबा की अनंत कथाएँ : कैसे भक्त केहर सिंह की जीभ के कैन्सर का मात्रा स्पर्श से इलाज किया
१९४८ की बात है, केहर सिंह जी एक बार अपने मित्र के साथ एक भृग संहिता वाले पंडित के पास गये । उसने आपके भविष्य का पूरा विवरण आपको लिख कर दिया और प्रत्येक घटना वैसे ही सत्य प्रतीत होती गयी । एक बात अशुभ थी उसमें कि ५४ साल की आयू में किसी बिमारी से आपका मृत्यु योग था ।
जब आपने ५४ वे साल में प्रवेश किया तो आप की जीभ के नीचे एक माँस का लोथड़ा उभर आया । डाक्टर ने इसे कैन्सर ग्रोथ बताया, आप बहुत चिन्तित थे और सोच रहे थे कि इस बात का बाबा को बताया जाये या नही । अचानक से महाराज का लखनऊ में आगमन हो गया ।
आप सारे दिन उनके साथ घूमते रहे । मेहरोत्रा जी और प्रेम लाल भी आपके साथ थे । शाम को बाबा के साथ आप सब हनुमान सेतू पर गोमती के किनारे बैठ गये । बाबा ने मेहरोत्रा जी और प्रेम लाल जी को काम से इधर उधर भेज दिया, अब आपके कान के पास मूँह लाकर बाबा बोले, "अब कह " । आप बाबा का प्रेम देखकर अपने को रोक न पाये और बोले ," महाराज मेरी जीभ पर कैन्सर हो गया है ।"
बाबा ने आपको बायें हाथ से खींचकर अपनी छाती से लगा लिया और दाहिने हाथ से आपके सिर को ज़ोर से रगड़ने लगे । इसके बाद बाबा ने आपको छोड़ दिया और कुछ बोले नही । आप रोज़ शीशे में इस लोथड़े को देखते रहते थे और ये प्रतिदिन कम होता जा रहा था । एक हफ़्ते में आपकी जीभ ही साफ़ नहीं हुई बल्कि हाथ की टूटी जीवन रेखा भी बढ़ कर अखण्ड हो गयी ।
बाबा ने आपको जीवन दान देकर आपकी मृत्यु के योग को टाल दिया था ।
जय गुरूदेव
आलौकिक यथार्थ